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How to Manage Staff in Organisation

Ayurvigyan with Dr.Swastik
Ayurvigyan with Dr.Swastik
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कार्य स्थल में स्टाफ को कैसे मैनेज किया जाए ?

कुछ दिन पहले मेरे एक परिचित का उनके डिपार्टमेंट में प्रोमोशन हुआ था. कुछ दिन तक वो खुश रहे पर जैसे जैसे समय बीतता गया उनकी परेशानियां भी बदने बढ़ने लगी और वो दुखी से रहने लगे. बात करने पर पता चला कि हॉस्पिटल स्टाफ और अपने बॉस के साथ तालमेल नहीं बैठ पा रहा है और जो कार्यस्थल पर जो पहले मित्र थे अब उनसे भी सम्बन्ध अच्छे नहीं रह गए हैं; ऊपर से बॉस का प्रेशर अलग. वो अपने मरीजों से भी ठीक व्यवहार नहीं कर पा रहे थे.

मेरे विचार से ये मित्र नयी ज़िम्मेदारी आने पर वर्कप्लेस और स्टाफ के बीच तालमेल ठीक नहीं बैठा पा रहे थे और प्रेशर में आकर गलत निर्णय ले रहे थे.
एक स्वास्थ्य प्रशासक के दृष्टिकोण से उसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य अपने कार्यस्थल में सही वातावरण बनाने का होता है. स्वस्थ वातावरण होने पर ही जो काम हम अपने कर्मचारियों से करवाना चाहते हैं वो पूरे हो जाते हैं. हममे से अधिकाँश ने अपने अधिकारियों को आदेश देते हुए देखा है और न जाने कितने वर्षों से आदेश देने और उसे पूरा करने की बाध्यता का क्रम चला आ रहा है.

लेकिन स्वास्थ्य के बदलते हुए वैश्विक परिवेश में लगातार बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा में सिर्फ आर्डर देने से ही हमारा हॉस्पिटल या उसका कोई डिपार्टमेंट सफल नहीं बन सकता है . एक कुशल प्रशासक को हर तरह की चुनौती से निबटना आना चाहिए. किसी भी डिपार्टमेंट की सफलता के लिए सकारात्मक माहौल होना बहुत ज़रूरी होता है. नई ज़िम्मेदारी आने के बाद उसे निभाने के लिए हम –

• अपने स्टाफ के सामने स्पष्ट रूप से उनसे आप क्या उम्मीद करते हैं ये बता दें.
• स्टाफ की उस काम को करने के लिए आवश्यक योग्यता है भी या नहीं ये देख ले.
• उस काम को करने के लिए आपके स्टाफ के पास ज़रूरी क्षमताएं हैं या नहीं ये भी पहले जांच लें.
• पता करें कि उस काम को पूरा करने के लिए उनके पास ज़रूरी साधन हैं या नहीं.
• अपने अधीन स्टाफ को समान रूप से काम बाँट दें.
• उनको काम पूरा करने के लिए और सुधार के लिए समय समय पर सलाह देते रहें.

मेरे विचार से दो टाइप की समस्यांए सबसे पहले सामने आती हैं-
१- अधिकारी बनने के बाद पुराने साथियों को मैनेज करना
२- अपने अधिकारी की अपेक्षाओं को पूरा करना

१.पुराने साथियों को अधिकारी के रूप में मैनेज करना-
• जब किसी का प्रमोशन हो जाता है और वो अपने डिपार्टमेंट में अपने वर्तमान साथियों का ही बॉस बनकर पहुच जाता है तो इस समय उनके कुछ पुराने साथियों के अहम् को चोट लगती है और वो ऐसा सोच सकते हैं कि कल तक तो ये हमारे साथ ही काम करता था और आज हमें इसके आर्डर मानने पढ़ रहे हैं. लेकिन ये मानव स्वभाव है कि हम इस बदलाव को जल्दी से नहीं एडजस्ट कर पाते हैं
• इस समय आप अपने ऊपर कण्ट्रोल करते हुए सिर्फ अपने कार्य के ऊपर ही फोकस करें. आपके अन्दर किसी गुण या योग्यता को देखकर ही आपके उच्चाधिकारियों ने आपको प्रमोट किया है. इसे व्यर्थ के वाद विवाद और अहम से जुड़े मुद्दों में न पढ़ने दें.
• स्पष्ट रूप से बताएं कि आपका उनके साथ अब क्या रोल है और आप कैसे उनके साथ काम करना चाहते हैं.
• कार्यस्थल में निष्पक्ष रहें. कार्यस्थल पर तथा व्यक्तिगत सम्बन्धों में अंतर करना सीखें.
• उनसे कहें कि काम को अधिक परफेक्शन से करने के लिए और क्या आइडियाज हो सकते हैं.
• उनकी भावनाओं को समझते हुए बात करें; जैसे अगर आपके किसी पूर्व साथी को प्रशासक के रूप में आपके साथ कार्य करने में समस्या आ रही है तो कहें – मै समझ सकता हूँ कि आपको मेरे साथ काम करने में समस्या आ रही है ; पर हमे मिलजुल ही इस काम को करना है और यही हमारे डिपार्टमेंट के लिए उचित है.
• उनसे पूछें कि आप किस तरह से इस काम को मेरे साथ पूरा कर सकते हैं.
• उनके साथ लगातार निष्पक्ष रूप से कार्य करते रहें जिससे उन्हें भी समझ में आ जाए कि क्यों आपको इस पोजीशन के लिए प्रमोट किया गया.
• अपने आथियों के साथ कोई भी समस्या आने पर आप उन समस्याओं को एक जगह नोट कर लें और उसे सुलझाने के स्टेप पर मिलजुल के कार्य करें.

२. अपने अधिकारी की अपेक्षाओं को पूरा करना-

• हमारे उच्चाधिकारी और हमारे बीच कभी कभी काम को करने के तरीकों और उससे जुड़े कई मुद्दों में अक्सर मतभेद देखे जाते हैं. इससे हमारी कार्य् क्षमताओं पर असर पड़ना स्वाभाविक है.
• आपको हर समय अपने बॉस की अपेक्षाओं को ठीक ठीक जानना ज़रूरी है. इसके लिए समय समय पर अधिकारी से फीडबैक लेते रहना चाहिए. बॉस से अच्छा तालमेल बनाये रखने के लिए हमारी कम्युनिकेशन स्किल्स पर मज़बूत पकड़ होनी चाहिए.
• हमें अपनी स्किल्स को लगातार अपडेट करते रहना चाहिए. हर कार्य पूरा होने के बाद बॉस की उम्मीदें पहले से ज्यादा हो जाती हैं. इसलिए हमारे काम की कुशलता भी पहले से ज्यादा होनी चाहिए.

यहीं हमें बैलेंस बनाना है.
अगर हम अपने बॉस, अपने साथ और अधीन स्टाफ, अपने मरीजों की अपेक्षाओं और उनमे तालमेल बैठा लेते हैं तो हमारी प्रोफेशनल ग्रोथ भी डिपार्टमेंट की ग्रोथ के साथ बढ़ जायेगी ऐसा मेरा व्यक्तिगत अनुभव है !!!!!!

पिछली पोस्ट पर आपके सुझावों पर अमल करते हुए ही हमने यह पोस्ट लिखी है .

आपका अपना,
डॉ.स्वास्तिक

(अन्य मुद्दों तथा सुझावों के लिए लेखक से drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है . ये पोस्ट नवभारत टाइम्स पर भी आ चुकी है )

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