Menu
blogid : 18324 postid : 733686

CONTACT LENS -(चश्मे का विकल्प और इसका बढ़ता प्रचलन)

Ayurvigyan with Dr.Swastik
Ayurvigyan with Dr.Swastik
  • 30 Posts
  • 15 Comments

आजकल की व्यस्तता और भागदौड़ भरी जिंदगी में हमने स्वास्थ्य से ज़्यादा बाहरी सौंदर्य को महत्व देना शुरू कर दिया है. इसी जीवन शैली में आँखों के स्वास्थ्य के लिए एक नया प्रयोग शुरू हुआ है जिसका नाम है कांटेक्ट लेंस. ये कांटेक्ट लेंस चश्मों के विकल्प के रूप में सामने आ रहे हैं. चश्मा लगाने से जिन लोगों को समस्या होती है या जो लोग बिना चश्मा लगा के अपनी आँखों की समस्या को दूर करना चाहते हैं उनके लिए यह एक अच्छा विकल्प है .

कॉस्मेटिक लेंस का प्रयोग फिल्म इंडस्ट्री में आँखों के रंग को बदलने के लिए किया जा रहा है. आपने बहुत सी हिंदी और हॉलीवुड फिल्मों में कलाकारों की आँखों के रंग बदलने को देखा होगा. फिल्मों में कभी भूत प्रेतों की आँखें अलग अलग रंगों की और बड़ी डरावनी होते देखी होंगी. कई फिल्मों में आँखों के सफेद हिस्से को जिसे हम स्क्लेरा कहते हैं उसे भी रंगीन बना दिया जाता है. ये सब कांटेक्ट लेंसों का ही कमाल है जिससे हम डर जाते हैं.

आजकल एक नयी डरावनी फिल्म आई हुई है जिसमें अभिनेत्री ने भूत का रोल किया है वो तो आपने देखी ही होगी. हमारे मन में सवाल उठ ही जाता है कि ये सब कैसे होता है. दरअसल उसकी आँखों में भी ऐसे ही कांटेक्ट लेन्सेस लगाए गए हैं.

अपनी आँखों से लोगो को आकर्षित करने के लिए बड़े शहरों में स्टूडेंट्स भी कांटेक्ट लेन्स का प्रयोग करते है । कलर्ड लेन्स में ब्लू ,ग्रीन, और ब्राउन कलर ज्यादा पसन्द किया जा रहा है। जिन स्टूडेंट्स को चश्मा लगा होता है वो अपनी पर्सनालिटी में सुधार लाने के लिए कांटेक्ट लेन्स लगाते है।


कांटेक्ट लेंसों का विभिन्न रोगों में प्रयोग-
(Contact Lenses in Medical conditions)

1.चश्में का नम्बर हटाने के लिए प्लास्टिक से बने कांटेक्ट लेन्स का उपयोग किया जाता है। साधारण चश्मों की तुलना में कांटेक्ट लेंस के प्रयोग से चश्में से निजात पाने के साथ-साथ चेहरा भी आकर्षक दिखता है एवं आसपास कि चीज़ें और अधिक साफ नजर आती हैं।जिन लोगों का कार्निया प्रत्यारोपित हो चूका है व केरेटोकोनस से पीडि़त मरीजों में कान्टेक्ट लेंस विशेष लाभदायक रहते हैं.


2.नेत्र विशेषज्ञ कुछ विशेष अवस्थाओं में भी कांटेक्ट लेंस के प्रयोग की सलाह देते हैं जैसे- कॉर्निया के रोग, और हाई astigmatism, केराटोकोनस आदि. हमारी आँख में स्थित पारदर्शी लेंस के द्वारा रेटिना पर प्रकाश पडता है। यह पारदर्शी लैंस जब धूमिल पड जाता है तो हम कह सकते हैं कि मोतियाबिंद हो गया है। जिन लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हो चुका है उनको कांटेक्ट लेंस से सबसे ज्यादा फायदा होता है. इस प्रकार के रोगों में भारी भरकम चश्मों कि बजाय कांटेक्ट लेंसों का प्रयोग ज्यादा अच्छा रहता है. चश्मों से बड़ी इमेज और अव्यवस्थित विसुअल फील्ड बनता है. कांटेक्ट लेंस सामान्य इमेज बनाते हैं और मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद पूरा फील्ड ऑफ़ विज़न बनता है.


कांटेक्ट लेंस प्रयोग करते समय क्या सावधानियां रखें-
(Precautions while using Contact Lenses)


1. कांटेक्ट लेन्सेस को अपनाने से पहले और बाद में काफी सावधानियां अपनानी पड़ती हैं. अगर सही लेंस का प्रयोग नहीं किया जाय तो इससे हमारी आँखों में कई समस्याएं भी हो सकती हैं.

2. लेंस के प्रयोग से पहले हमें हाथ अच्छी तरह धो लेने चाहिए. अगर हाथ गीले हैं तो पहले हाथों को अच्छी तरह सुखा लें ; उसके बाद ही इसका प्रयोग करें.

3. यदि आप पहली बार लेंस पहन रहे हैं तो पहले सीधे नीचे की ओर देखें , और फिर इसके एडजस्टमेंट के लिए एक दो बार पलक झपकाएं. ऐसा करने पर लेंस अपने आप ही आँखों में फिट हो जाता है.अगर फिर भी कुछ अजीब सा लगता है तो इसके लिए किसी लेंस विशेषज्ञ से ही सलाह लेनी चाहिये.

4.आप लेंस उतार रहे हैं या लगा रहे हैं, कांटेक्ट लैंस सोल्यूशन से साफ करें; लगाने से पहले भी, हटाने के बाद भी . लेंस का प्रयोग करने वाले सभी लोगों को इसे रोज़ साफ़ करना चाहिए.

5-इसके लिए सावधानीपूर्वक लेंस को हाथ में लेकर साफ़ करने वाले सलूशन से इसे हलके हाथ से साफ़ करें.

6-लेंस को साफ़ करने के बाद इसे हवा के सीधे संपर्क में नहीं आना चाहिए. इस लेंस को इसके बॉक्स में कसकर बंद करके रख दें.

7-आंखों को स्वस्थ रखना है तो अपने कांटेक्ट लैंसों को हर छह महीनों बाद अवश्य बदलवा लेना चाहिए . कांटेक्ट लेंस हमेशा इसके बॉक्स में ही रखें। कुछ लोग इन्हें फ्रिज या टायलेट में उतार कर रख देते हैं ; ये सही नहीं है.

8-अगर आप लैंस लगाते हैं तो चौबीस घंटों में केवल दस या बारह घंटे ही लेंस लगाएं। अपनी आंखों को आराम जरूर दें।

9-अगर आपको सोने जाना है तो लैंस हटा दें.

10-नहाते समय भी लैंस नहीं लगे होने चाहिए।

11-अपने लैंस खुद ही प्रयोग करें। इन्हें घरेलू चीज़ों की तरह न किसी दूसरे को दें तथा न ही किसी दूसरे के खुद लगाएं।

12-अगर आंखों को कोई भी तकलीफ हो ये लाल हैं या खुजली कर रही अथवा कोई भी समस्या हो ऐसे वक्त पर लेंस मत प्रयोग करें. चैकअप भी करवाएं।

13-लैंस पहनने वालों को अपनी आंखों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। थोड़ी सी लापरवाही या आलस्य आँखों को काफी नुकसान पहुंचा सकता है इन्हें निरोगी रखने के लिए प्रयत्न जरूर करें।


कांटेक्ट लेन्सेस कितने तरह के होते हैं ?
(Types of Contact Lenses)


आजकल कई तरह के कांटेक्ट लेंस मिलते हैं जैसे- हार्ड , सेमी सॉफ्ट या सॉफ्ट .


1.हार्ड लेंस-
यह पी. ऍम.ऍम. ए. नामक प्लास्टिक से बना होता है जो लचीला नहीं होता. यह छोटा होता है. इन्फेक्शन की संभावना भी कम रहती है. यह लेंस बहुत अच्छी दृष्टि देते हैं लेकिन इनकी कीमत कुछ ज़्यादा होती है. इस लेंस के आर पार ऑक्सीजन नहीं जा सकती है और एक दिन में इन्हें अधिकतम ८ घंटों तक ही उपयोग कर सकते हैं.


2.सेमी सॉफ्ट लेंस-
ये उपयोग में आसान होते हैं .और इनके आर पार ऑक्सीजन जा सकती है. इसलिए इनसे आँखों को कोई परेशानी नहीं होती है. एक दिन में इन्हें १०-१२ घंटे तक पहना जा सकता है. इसके और भी फायदे होते हैं जैसे ज्यादा साफ़ दिखाई देना और आँखों में लेंसों के कारण कम परेशानियां आना.कई मरीजों ने इसके जल्दी से धुंधला दिखाई देने कि शिकायत करी है. चूँकि ये हार्ड लेंस से ज्यादा बड़े होते हैं इसलिए ये धूल और गर्मी से ज्यादा सुरक्षा देते हैं.


3.सॉफ्ट लेंस-
ये सबसे ज्यादा प्रोयोग किये जाते हैं क्योंकि इन्हें आसानी से प्रयोग किया जा सकता है. लेकिन इनके कुछ नुक्सान भी होते हैं. इससे पहले जितनी साफ़ दृष्टि नहीं हो पाती है. Astigmatism ठीक नहीं होता है. आँखों के इन्फेक्शन भी ज्यादा हो जाते हैं. इनको संभालना भी कठिन होता है. इनको एक विशेष प्रकार के सोलुशन में रखना पड़ता है नहीं तो यह सूख जात्ते हैं.


4. बैंडेज सॉफ्ट लेंस –
यह वो लेंस होते हैं जिनसे ऑक्सीजन अधिक मात्रा में आर पार जा सकती है और इनमें पानी की मात्रा भी ज़्यादा होती है. इसको बैंडेज के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है.


तो मित्रों ; सोचिये ज़रा, अगर कोई हमसे एक मिनट के लिए आंखें बंद करने के लिए कहता है तो हम कितनी बेचैनी महसूस करते हैं. आंखें स्वस्थ न हों तो संसार की सारी खूबसूरती बेमानी लगती हैं। फिर भी हम अपनी आंखों का पर्याप्त खयाल नहीं रख पाते। इसके बिना जिंदगी अधूरी होती है।
आंखें ईश्वर की नियामत हैं। आंख हैं तो जहान है। आईए, इनकी देखभाल कर, इन्हें निरोगी रखें।

“सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ॥“


पिछली पोस्टों की तरह इस बार भी अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें जिससे आपके लिए और भी उपयोगी बातों पर चर्चा हो सके.
धन्यवाद,

आपका अपना,
डॉ.स्वास्तिक

(ये सूचना सिर्फ आपके ज्ञान वर्धन हेतु है. किसी भी गम्भीर रोग से पीड़ित होने पर अपने चिकित्सक के परामर्श के बाद ही कोई दवा लें. यह पोस्ट नवभारत टाइम्स के पाठकों को भी लाभ पहुंचा चुकी है . निःशुल्क चिकित्सा परामर्श, जन स्वास्थ्य के लिए सुझावों तथा अन्य मुद्दों के लिए लेखक से drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh