Misleading Advertisements of Ayurvedic Products : What to do
Ayurvigyan with Dr.Swastik
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भारत में आज कल विज्ञापन का हर जगह बोलबाला है और निसंदेह उपभोक्ता भी इससे काफी हद तक प्रभावित हो रहे है. ऐसे विज्ञापनों और वेबसाइटों में आयुर्वेद के नाम पर दावा और वादा किया जाता है कि हमारे हर्बल उत्पाद; स्लिमिंग और वजन घटाने के इलाज में नंबर १ , गठिया, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, पीठ की चोट, अनिद्रा, गठिया, रक्त परिसंचरण समस्याओं से गुर्दे की समस्याओं, टीबी, दमा और हेपेटाइटिस; जुकाम, पेट के अल्सर, hangovers और गठिया से १०० % छुटकारा दिला सकते हैं. मेरे पास ऐसे बहुत लोग आ चुके हैं जिन्होंने आयुर्वेद के नाम पर इन फर्जी प्रोडक्ट्स को मंगवाकर अपनी हज़ारों रूपए की धनराशी गंवाई है.
हाल ही में, यौन रोगों, और पुरुषों और महिलाओं के लिए कथित तौर पर इलाज से संबंधित आपत्तिजनक विज्ञापनों की एक बड़ी संख्या में विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में बाढ़ सी आई हुई है. भारत के लोग खासतौर से युवा वर्ग गलत धारणा और अज्ञानता के कारण इन चोरों के के जाल में फंस जाते हैं और अंत में एक बड़ी धनराशी खोने के बाद पछताते रह जाते हैं. साथ ही साथ ऐसे ठगों से इलाज करवाने के बाद कयी गंभीर बीमारियों का भी इनको सामना करना पड़ता है. इनका दावा होता है कि ये बहुत ही गुप्त विद्या है. जबकि सच ये है कि वैज्ञानिक कभी भी किसी रिसर्च या मानव जाति के लिए किसी उपयोगी तथ्य को दुनिया से छुपाते नहीं हैं बल्कि उसे अधिक लोगों को बताते हैं जिससे उस रिसर्च को अधिक से अधिक बार परखा जा सके.
कुछ विज्ञापनों में इसके इलाज के लिए एक और तरीका बताया जाता है और वो है मैग्नेट और चुंबकीय उपकरणों द्वारा इलाज. लेकिन इन इलाजों की कार्यक्षमता को सिद्ध करने के लिए ये ठग कोई भी ऐसा स्रोत नहीं बताते जिससे उपभोक्ता सच का पता लगा सकें. इसी प्रकार के विज्ञापन से अपनी कमाय करने वालों को नीम हकीम कहा जाता है. ये नीम हकीम अब अपने प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए झूठे साइंटिफिक तथ्य गढ़ते हैं और आम जनता को बताते हैं जैसे- हमारे प्रोडक्ट को यूज़ करने से आपका शरीर detoxify होता है या इससे आपके नर्वस सिस्टम में सुधार होता है या आपकी ऊर्जा का संतुलन बन जाता है.
जनता भी इन ठगों की बातों में अक्सर आती हुई देखी गयी है क्योंकि ऐसे दावों को परखने का कोई भी पैमाना नहीं है. कुछ झूठे विज्ञापनों में आपकी सभी बीमारियों की जड़ में आपके खाने पीने को दोषपूर्ण ठहराया जाता है और कहा जाता है कि अगर आप हमारा ये प्रोडक्ट लेंगे तो आपके शरीर की सभी प्रोब्लेम्स और बीमारियाँ निश्चित रूप से दूर हो जायेंगी क्योंकि ये फ़ूड सप्लीमेंट है.जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है. हमारी कुछ बीमारियाँ खाने पीने से सम्बंधित हैं पर कुछ अन्य कारकों से भी सम्बंधित हैं.
यह जरूरी है कि विज्ञापन निष्पक्ष और सच्चे हो.भ्रामक और झूठे विज्ञापन न सिर्फ अनैतिक कार्य कर रहे हैं बल्कि वे इस अंधी प्रतिस्पर्धा में उपभोक्ताओं के जीवन से भी खिलवाड़ कर रहे हैं.ये लोगों के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन कहा जा सकता है. जिसे एक ही नाम दिया जा सकता है और वो है धोखा.
कुछ विज्ञापन संदिग्ध रूप से बिना किसी वैज्ञानिक जानकारी के स्रोत को प्रस्तुत करते हुए सिर्फ अपने माल को बेचने में ही विश्वास रख रहे हैं. जबकि ऐसे उपकरणों को बिना वैज्ञानिक तथ्यों द्वारा जस्टिफाई किये हुए प्रयोग करने से स्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा हो सकता है. इस प्रकार के भ्रामक विज्ञापनों के असर से जब इनका उपयोग किया जाता है और जैसा कहा गया है वैसा असर नहीं मिलता तो लोग अपने को ठगा सा महसूस करने लगे हैं. आज की तारीख में चिकित्सा विज्ञान (आयुर्वेद, एलॉपथी या कोई भी अन्य पैथी) के पास ऎसी कोई भी सिंगल दवा नहीं बनी है जिसे उपयोग करके दुनिया की सभी बीमारियाँ १००% दूर कर सके.
ऐसे मामलों में दवाओं के विज्ञापन पर नियंत्रण और प्रतिबंधित करनेकरने के लिए ड्रग एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट (डीएमआर अधिनियम) लागू किया गया है. डीएमआर अधिनियम के तहत, “जादू उपाय” की परिभाषा में एक ताबीज, मंत्र, कवच और पुरानी बीमारी की रोकथाम में चमत्कारी शक्तियों के द्वारा इलाज करना शामिल हैं.
Drug and Magic Remedies Act (औषधि और चमत्कारिक उपचार अधिनियम) –
1.इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति या कम्पनी महिलाओं या गर्भाधान की रोकथाम या गर्भपात की दवा की बिक्री, यौन क्षमता बढ़ाने, स्त्री रोग की रोकथाम या उपचार के लिए बिना पंजीकृत चिकित्सक द्वारा बताये हुए किसी भी दवा का विज्ञापन के प्रकाशित नहीं कर सकता है.
2.कुछ महीने पहले खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए) ने दवाओं और चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1955 की विभिन्न धाराओं के तहत महाराष्ट्र के पुलिस थानों में शिकायतों को दायर किया था. इन शिकायतों में बॉलीवुड के प्रमुख कलाकारों द्वारा किये जा रहे अनेक आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स के विज्ञापन भी शामिल थे जिसमें गठिया से लेकर मोटापा और डायबिटीज के विज्ञापन शामिल थे. एफडीए ने दवा निर्माताओं, पटकथा लेखक और अभिनेताद्वारा ऐसे झूठे उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ऐसे टी वी चैनल्स के खिलाफ कार्रवाई की मांग की शिकायत दर्ज कराई थी.
Lacuna in Law (कानून में कमी)
आज ये क़ानून पुराना हो चुका है क्योंकि इसमें सिर्फ प्रिंट मीडिया (अखबार, या पत्रिका अदि प्रकाशन ) शामिल हैं पर टी वी या इन्टरनेट नहीं !! बस इसी कमी का फ़ायदा उठा कर ये ठग दिन भर टी वी और इन्टरनेट पर अपने घटिया और झूठे प्रोडक्ट्स को बेच कर करोडपति बनते जा रहे हैं.
साथ ही साथ भारत में आध्यात्म के नाम पर लोगों को ठगने वाले लोगों से निबटने का कोई भी क़ानून नहीं है.
Remedies to prohibit Drug & Magic Remedies misleading Advertisements-
1.मेरे विचार से आज भारत में इस तरह के रूप में बल्कि विभिन्न बीमारियों के इलाज करने के दावे के बारे में बेईमान लोगों पर एक सख्त निगरानी के लिए एक सख्त कानून तैयार करने की सख्त आवश्यकता है.
2.डीएमआर अधिनियम को मजबूत करने के लिए, समिति विभिन्न राज्यों के डॉक्टरों और फार्मेसी एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से दवा नियंत्रकों तक की टीम बना के कार्य करना चाहिए.
3.जो डॉक्टर इन फर्जी दवा, विटामिन या दवा को किसी खास प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के लिए ऐसे विज्ञापनों में भाग लेते हैं उनके खिलाफ भी कार्यवाही की जानी चाहिए.
4.लोगों को भी इन फर्जी विज्ञापनों को देखकर खुद ही दवा नहीं लेनी चाहिए
5.जब तक कोई दवा किसी रजिस्टर्ड डॉक्टर ने नहीं लिखी है तब तक उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए .
6.किसी भी बीमारी का शर्तिया / गारेंटेड / जादुई इलाज के विज्ञापन करने वालो के लिए कठोर दंड एवं जेल भेजने के लिए क़ानून बनाना चाहए.
7.सिने सितारों और मशहूर हस्तियों को भी इन तावीजों, यंत्रों और कवच जैसी चीज़ों के माध्यम से ठगने और दवा उत्पादों के ऐसे भ्रामक विज्ञापनों करने के लिए मामला चलाने के लिए कानूनी प्रावधान होना चाहिए.
8.आयुर्वेदिक नकली उत्पादों पर जाँच के लिए, आयुर्वेद दवा निरीक्षकों की अधिक संख्या हर राज्य में भर्ती किया जाना चाहिए.
9.खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) को जोड़ों का दर्द, नपुंसकता और वजन में कमी के इलाज के लिए इन झूठे इलाजों को बढ़ावा देने के लिए टेलीविजन चैनलों पर रोक लगाने के लिए योजना बनानी चाहिए
10.टेलीमार्केटिंग कम्पनियों के इस फर्जी जाल को रोकने के लिए सरकार को ब्रॉडकास्टर्स असोसिअशन के साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है ; जिससे कड़े स्टैण्डर्डस बनाए जा सकें.
अगर आपकी जानकारी में कोई ऐसे ही प्रोडक्ट्स बेच कर आयुर्वेद को बदनाम कर रहा है तो उन कम्पनी वालों को बता दें कि आयुर्वेद के नाम पर पर ऐसे फर्जी प्रोडक्ट्स बेचने की उनकी शिकायत Advertising Standards Council Of India में हम करने जा रहे हैं.
अगर कोई आपसे आपके खाने पीने को दोषपूर्ण बता कर या किसी और कारण को बताकर अपने कैप्सूल या अन्य प्रोडक्ट लेने को कह रहा है तो आप अपने खानपान को सुधारें न कि उसकी बातों में आके उस प्रोडक्ट को बिना जाने समझें उपयोग करें.
अगर आप टीवी में देखे गए विज्ञापनों से ठगे जा चुके हैं तो निराश मत हों; आज ही Advertising Standards Council Of India की वेबसाइट ईमेल या ऑनलाइन फॉर्म भर कर पर इसकी शिकायत करें. कंप्लेंट करने वाले का नाम गोपनीय रखा जाता है !!
यह पोस्ट नवभारत टाइम्स के पाठकों को भी लाभ पहुंचा चुकी है .निःशुल्क चिकित्सा परामर्श, जन स्वास्थ्य के लिए सुझावों तथा अन्य मुद्दों के लिए लेखक से drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )
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