Menu
blogid : 18324 postid : 733849

प्रोस्टेट के लिए आसान इलाज़ (Easy Treatment of Prostate related Disorders)

Ayurvigyan with Dr.Swastik
Ayurvigyan with Dr.Swastik
  • 30 Posts
  • 15 Comments

आइये चर्चा करें  –
1. प्रोस्टेट से सम्बन्धित परेशानियाँ सामान्यत उन पुरुषों में पायी जाती हैं जिनकी उम्र ५० वर्ष से अधिक हो चुकी है.
2. कुछ समय पहले तक ऑपरेशन द्वारा प्रोस्टेट ग्रन्थि को पूरी तरह से हटा देना ही एकमात्र उपाय था और इससे कुछ परेशानियाँ भी होती थीं. जैसे मूत्र त्यागने में समस्या, मूत्र त्यागने में नियंत्रण समाप्त हो जाता था या फिर दिनचर्या अव्यवस्थित हो जाती थी.
3. आजकल Trans Urethral Resection (TUR)  द्वारा इस रोग को दूर किया जाता है.

ये बीमारी क्यों होती है-
1. प्रोस्टेट मूत्राशय के आधार आर पायी जाने वाली एक ग्रन्थि है जिसमें एक छिद्र होता है. युरेथ्रा ( वह नली जिसमें से मूत्र बाहर निकलता है ) इस छिद्र में से होकर गुज़रती है.
2. सामान्यतः ग्रन्थि का आकार एक गोल्फ की गेंद के बराबर होता है. पर इसमें यह रोग होने पर इसका आकार सेब के बराबर भी हो सकता है. इसके परिणामस्वरूप छिद्र का व्यास कम हो जाता है. इसके कारण युरेथ्रा पर दवाब बढ़ जाता है और मूत्र निष्कासन बाधित हो जाता है.
लक्षण
प्रारम्भिक लक्षणों में मुख्यतः पाए जाते हैं- मूत्र त्यागने के लिए बार बार जाना , मूत्राशय का पूरी तरह खाली नहीं होना, कुछ मूत्र त्याग के बाद वहां जलन होना, समय के साथ मूत्र निष्कासन की प्रवृत्ति बढ़ जाती है. हर २०-३० मिनट में मूत्र त्यागने के लिए बार बार जाना पड़ता है. कुछ समय बाद मूत्र की मात्रा में कमी होने लगती है और मूत्र मार्ग पूरी तरह बाधित हो जाता है. इसका तुरंत उपचार करवाना आवश्यक होता है.

इसकी शुरुआती अवस्था में कौन से हर्बल उपाय कर सकते हैं ?
1. टमाटर में लायकोपिन और एन्टिआक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो केंसर पनपने को रोकते हैं.  दो टमाटर प्रतिदिन खाने से प्रोस्टेट केंसर का खतरा ५०% तक कम हो जाता है। हफ़्ते में कम से कम दो बार टमाटर जरूर खाएं.

2. चाय और काफ़ी में Caffine पाया जाता है. केफ़िन मूत्राषय की ऊपरी हिस्से को कठोर करता है और प्रोस्टेट के मरीज़  की परेशानी को बढा देता है. इसलिये केफ़िन तत्व वाली चीजें प्रयोग न करें.

3. कद्दू / काशीफल में जिन्क नामक एक महत्वपूर्ण तत्व पाया जाता है जो इस रोग में आराम करता है। कद्दू के बीज की गिरी निकालकर इसे सेक लें। फिर इसे मिक्सी में पीसकर पावडर बनालें। यह पाउडर 25-30 ग्राम की मात्रा में रोज़ लिया करें. कुछ समय बाद पानी के साथ लेने से प्रोस्टेट सिकुडकर पेशाब खुलकर आ जाती है.

4. अलसी को मिक्सर में पीसकर पावडर बनाएं. यह पावडर 20 -25 ग्राम की मात्रा में पानी में मिलाकर दिन में दो बार पीयें।

मेरे अधिकाँश रोगियों ने इससे आराम बताया है.

अगर रोग की कंडीशन बढ़ गयी है तो क्या उपचार होता है ?
इसमें एक ऑपरेशन होता है जिसे TUR Operation कहते हैं.
TUR Operation-
1. इसमें रेक्टोस्कोप नाम का यंत्र मूत्राशय तक पहुंचाया जाता है. रोगी को एनेस्थीसिया देकर यह ऑपरेशन किया जाता है. इस यन्त्र के एक सिरे पर एक शक्तिशाली लेंस लगा दिया जाता है जिसमे सर्जन पूरी प्रक्रिया देख सकता है. फिर इसमें तेज़ फ्रीक्वेंसी का करंट इस तार में भेजा जाता है. जिसमें ऊतकों के छोटे छोटे टुकड़े किये जाते हैं.

2. धीरे धीरे प्रोस्टेट का छेद बड़ा होता जाता है जिससे मूत्र आसानी से जा सके. अब इस स्थान को रक्तस्राव रोकने के लिए एल्क्ट्रिक के उपकरण से जला देते हैं जिसे हम मेडिकल कि भाषा में “कौटराईज़ेशन” कहते हैं.

3. बचे हुए ऊतकों और खून कणों को कैथेटर ( रबर की नली ) से साफ़ कर देते हैं. कभी कभी किसी मरीज़ को मूत्र त्याग करते समय रूखापन या कुछ अजीब सी सनसनाहट महसूस होती है जो कि कुछ हफ़्तों के बाद दूर हो जाती है. इस ऑपरेशन के बाद रोगी को अस्पताल में १-२ हफ़्तों तक रहना पड़ सकता है.

4. ऑपरेशन के बाद रोगी को १-२ दिन तक ड्रिप से दवा जाती है और इसके बाद में वह सामान्य खाना खा सकता है. रोगी दो हफ्तों के बाद हल्के फुल्के काम कर सकता है लेकिन भारी सामान उठाना या भारी काम नहीं करना चाहिए. ३ हफ़्तों के बाद अधिकाँश रोगी भारी कार्य भी करने के लिए समर्थ हो जाते हैं. इस ऑपरेशन के बाद अधिकांश रोगियों को मूत्र त्यागने मे अपने ऊपर कण्ट्रोल हो जाता है.

5. कभी कभी कुछ रोगियों को ऑपरेशन के बाद में भी ग्रन्थि फूलने लगती है तो दोबारा ऑपरेशन कराया जा सकता है जिसमे डॉक्टर द्वारा ग्रंथि का काफी भाग हटा दिया जाता है.

इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि अगर आप सामान्य उपचार द्वारा ठीक नहीं हो पा रहे हैं तो इसके विशेषज्ञ से मिलकर रोग को जल्दी से जल्दी दूर करने का प्रयास करें जिससे आपकी सेहत अच्छी हो सके. अगर आपकी जानकारी में भी इस रोग से पीड़ित है तो उसे ये जानकारी देकर एक ज़िम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य निभाएं.

“सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ॥“


शेष अगली पोस्ट में…..
प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में,

आपका अपना,

डॉ.स्वास्तिक


(ये सूचना सिर्फ आपके ज्ञान वर्धन हेतु है. किसी भी गम्भीर रोग से पीड़ित होने पर अपने चिकित्सक के परामर्श के बाद ही कोई दवा लें. यह पोस्ट नवभारत टाइम्स के पाठकों को भी लाभ पहुंचा चुकी है . निःशुल्क चिकित्सा परामर्श, जन स्वास्थ्य के लिए सुझावों तथा अन्य मुद्दों के लिए लेखक से drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh