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Management of Asthma : Ayurvedic Methods

Ayurvigyan with Dr.Swastik
Ayurvigyan with Dr.Swastik
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हर वर्ष मई माह के प्रथम मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस होता है. इस वर्ष ६ मई को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाएगा , तो मित्रों सोचा की आज इस व्याधि और इसकी चिकित्सा के बारे में कुछ जानकारी आपके साथ बांटी जाए.

भारत में एक कहावत प्रचलित है कि दमा दम के साथ ही जाता है।asthma

अस्थमा या श्वास रोग मनुष्य में उपस्थित श्वासपथ की एक बीमारी है. मानव शरीर सभी बाहरी पदार्थों को स्वीकार नहीं करता. जिन पदार्थों को वह अस्वीकार कर देता है उन्हें एलर्जेन कहते हैं . उन एलर्जेन के संपर्क में आने पर प्रतिरोध करते हुए  शरीर में जो अलग अलग लक्षण प्रकट होते हैं उन्हें  एलर्जी कहते हैं। हमारी श्वास प्रणाली जब किन्हीं एलर्जेंस के प्रति एलर्जी प्रकट करती है तो वह श्वास रोग, दमा या अस्थमा कहा जाता  हैं। यह दीर्घकालिक रोग होता है । अस्थमा के रोगी को सांस फूलने या साँस न आने के दौरे बार-बार पड़ते हैं और उन दौरों के बीच में  वह अकसर सामान्य रहता है।

हाल ही में हुए आंकड़ों से पता चलता है कि पूरी दुनिया में २३५-३०० मिलियन लोग अस्थमा से पीड़ित हैं , और लगभग २,७0,000 लोग हर साल इस रोग से मरते हैं। लड़कों में मृत्यु दर लड़कियों की तुलना में दुगनी , वयस्क महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा व युवाओं में बुजुर्गों की अपेक्षा अस्थमा अधिक होता है.

अस्थमा के कारण –एलर्जी

•     पशूओं की त्वचा, बाल, या रोयें से

•     घास व पौधों के पराग व धूल के कणों से

•     सिगरेट के धुएं व वायु प्रदूषण से

•     ठंडी हवा या मौसमी बदलाव से

•     पेंट की गंध, परफ्यूम या रूम फ्रेशनर से

•     भावनात्मक मनोभाव (जैसे रोना या लगातार हंसना) और तनाव से

•     वंशानुगत लक्षण

•     गर्भावस्था में यदि महिला तंबाकू के धुएं के बीच में रहती है, तो उसके बच्चे को अस्थमा हो सकता है

लक्षण

•     छींक या खांसी आती है ,नाक बजती है व  सांस फूलती है; रात और सुबह में सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है

•     अचानक शुरू होता है व थोड़े थोड़े गैप के साथ आता है

•     व्यायाम करने से या ठंडी जगहों पर तीव्र  होता है

•      दवाओं के उपयोग से ठीक होता है

•      खांसी; बलगम के साथ या बगैर होती है

•      सांस लेते समय घरघराहट या सीटी जैसी आवाज़ आती है

•       पीड़ित लोग कहते हैं की वे सांस पकड़ नहीं सकते

ऐसा करें

•  धूल से बचें

•  पालतू जानवरों को हर २ या ३ दिन पर नहलाएं.

•  अस्थमा से प्रभावित बच्चों को उनकी उम्र वाले बच्चों के साथ सामान्य गतिविधियों में भाग लेने दें |

•  स्टफड खिलोंनों को हर हफ्ते धोंए वह भी अच्छी क्वालिटीवाल एलर्जक को घटाने वाले डिटर्जेंट के साथ

•  सख्त सतह वाले कारपेट अपनाए |

•  एलर्जी की जांच कराएं जिससे आप एलर्जन की पहचान कर सकें  |

•   दवाइयों के असर न करने पर चिकित्सक से परामर्श करें

ऐसा न करें

•  यदि आपके घर में पालतू जानवर है तो उसे अपने विस्तर पर या बेडरूम में न आने दें |

•  गार्डन या पत्तियों के पास में ज्यादा काम न करें और न ही खेलें |

•   दोपहर में परागकणों की संख्या बढ जाती है .उस समय बाहर काम न करें

पंख वाले तकिए का इस्तेमाल न करें |

•  घर में या अस्थमा से प्रभावित लोगों के आस -पास धूम्रपान न करें

•  अस्थमा से प्रभावित व्यक्ति से सामान्य  व्यवहार  करें |

•  अस्थमा का अटैक आने पर न घबराएं. इससे प्रॉब्लम और  बढ जाती है

चिकित्सा

मेरे पास ऐसे अनेक रोगी आते हैं जिन्हें वर्षों से ऎसी बीमारी है ; और इलाज में बहुत पैसा लग चुका है. अस्थमा / दमा के गरीब मरीजों को और जनसामान्य के हित के लिए इसकी प्रारंभिक चिकित्सा बतायी जा रही है. आपको सलाह दी जाती है कि यदि आप पैसा खर्च करने में समर्थ नहीं हैं तो यह उपचार करें. परन्तु इनसे भी आराम न मिले तो आयुष चिकित्सक से मिलकर उनके परामर्श द्वारा इसकी चिकित्सा करें.

1.अदरक की गरम चाय बनाएँ . इसमें लहसुन की ४  कलियां पीसकर मिलाएं . सबेरे और शाम इस चाय का सेवन करने से श्वास रोग नियंत्रित रहता है

2. ५-६ लौंग लें और १५०  मिली पानी में १०  मिनट तक उबालें। इसे थोडा ठंडा करके इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएँ और दिन में २-३ बार पिलायें

3. ३०-३५  मिली दूध में लहसुन की ५-६  कलियां डालकर  उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करें. इससे अस्थमा की प्रारंभिक अवस्था में लाभ होता है

4. २५० मिली  पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब १० मिनट तक उबालें। मिश्रण को ठंडा करके इसमें एक नमक,  चौथाई सैन्धव लवण,चुटकी भर कालीमिर्च और एक नीबू का रस मिलायें .इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल करें

5. हरिद्रा खंड ५ ग्राम नियमित रूप से प्रातः सांय गरम दूध के साथ सेवन करें. ये एंटी एल्लेर्जिक की तरह कार्य करता है साथ में ही लवंगादि वटी को चूसते रहे .

6. यदि परेशानी बढ़े तो किसी अच्छे चिकित्सक से परामर्श करें

7. इनहेलर्स का प्रयोग दमा रोग में  श्वसन तंत्र की सूजन को कम करने के लिए किया जाता है. इससे रोगी को तुरंत आराम मिलता है.

8. इस रोग को नियंत्रित करने के लिए इसके कारणों के विपरीत आचरण करें – धूम्रपान न करें,  ठंड से तथा ठंडे पेय लेने से बचें, बहुत अधिक  श्रम न करें।

9.दमा के रोगी को  नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार, खुली हवा में लंबी-लंबी साँसें लेनी चाहिए

10. सीधे बैठें और आराम से रहें; तुरंत सुनिश्चित मात्रा में रिलीवर दवा लें

11. पांच मिनट के लिए रुकें, फिर भी कोई सुधार न हो तो दोबारा उतनी दवा लें।

अस्थमा से जुड़े धारणा और तथ्य

1.धारणा : दमा का पूरी तरह  इलाज सम्भव है।

तथ्य: यह लम्बे समय तक रहने वाली बीमारी है। पूरी तरह से कुछ ही दिनों में इसका ठीक होना संभव नहीं है

2.धारणा : अस्थमा एक हार्मोनल बीमारी है।

तथ्य: यह कोई  हार्मोनल बीमारी नहीं है।

3.धारणा : दमा के मरीज़ स्पोर्टस में भाग नहीं ले सकते।

तथ्य: स्पोर्टस में भाग लेने से अस्थमा की स्थिति ना ठीक होगी और ना ही बिगड़ेगी।

4.धारणा : अस्थमा की दवाओं में स्टेरायड होने की वजह से वो सुरक्षित नहीं होतीं।

तथ्य: अस्थमा की दवाओं में स्टेरायड की बहुत कम मात्रा होती है। यह  मात्र नुकसानदायक नहीं होती

5.धारणा : लम्बे समय तक अस्थमा की दवाएं लेने पर बीमार होने पर अन्य दवाओं का असर  नहीं होता

तथ्य: यह आवश्यक नहीं है अलग-अलग दवाओं का प्रभाव अलग होता है।

6.धारणा : अगर मैं अच्छा महसूस करता हूं तो इसका अर्थ है कि मेरा अस्थमा ठीक हो गया है।

तथ्य: अगर अस्थमा के लक्षण नहीं पता लग रहे तो इसका मतलब यह नहीं कि अस्थमा ठीक हो गया है।

7.धारणा : बच्चों को अस्थमा की दवा देने का सबसे अच्छा तरीका है नेबुलाइज़र।

तथ्य: यह गलत है, आज नेबुलाइज़र की जगह स्पेसर मास्क का प्रयोग किया जा रहा है जो उतने ही प्रभावी है।

इनका सेवन करें  :-

  1. फल व सब्ज़ियां खाएं. इनमें  बीटा कैरोटिन व एण्टीआक्सिडेंट बहुत अधिक होता है
  2. साइट्रस फूड जैसे संतरे का जूस, मुसम्मी इनमे विटामिन सी होता है
  3. हरी सब्जियों में  विटामिन ए होता है .ये अलर्जी के प्रतिरोध में सहायक होते हैं
  4. दाल और हरी सब्ज़ियां खाएं. इनमें विटामिन बी की मात्रा ज़्यादा होती है , वो अस्थमैटिक्स को अटैक से बचाती हैं।
  5. कच्चे प्याज़ का प्रयोग करें .इसमें सल्फर की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है जिससे आस्थमा में  लाभ मिलता है।
  6. पालक , फाईबर युक्त भोजन का उपयोग करें .
  7. यदि मांसाहार करते हैं तो भोजन में सी फूड, चिकेन और मीट ले सकते हैं; इनमें सेलेनियम होता है।
  8. ओमेगा 3 फैटी एसिड फेफड़ों में हुई सूजन को कम करता है. ओमेगा 3 फैटी एसिड मछलियों, सैल्मन, ट्यूना और कॉड लिवर  में पाया जाता है।
  9. हलिबेट, ओएस्टर भी ले सकते हैं जिसमे मैग्नीशियम होता है जो कि श्वास नली से अतिरिक्त हवा को अन्दर आने देते हैं.

इनका सेवन न करें

  1. शीतल खाद्य पदार्थो व शीतल पेय
  2. उष्ण मिर्च-मसाले व अम्लीय रस से बने खाद्य पदार्थ
  3. भोजन में अरबी, कचालू, रतालू, फूलगोभी, केले, उड़द की दाल, दही और चावल. ऐसा आयुर्वेद चिकित्सा सिद्धांतों में माना जाता है.

तो मित्रों अगर आप की जानकारी में भी कोई अस्थमा रोग से पीडित है तो विश्व अस्थमा दिवस पर

उसे यह जानकारी देकर एक जिम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य निभाएं.

जनहित में ये जानकारी शेयर करें .

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्

शेष अगली पोस्ट में…..

प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में, 

आपका अपना,

डॉ.स्वास्तिक

( चिकित्सा अधिकारी, उत्तराखंड शासन )

(निःशुल्क चिकित्सा परामर्श, जन स्वास्थ्य के लिए सुझावों तथा अन्य मुद्दों के लिए लेखक से drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )

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