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Disorders Due to Computer Over Usage & Its Management

Ayurvigyan with Dr.Swastik
Ayurvigyan with Dr.Swastik
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Increasing use of Electronic devices in our lifeआजकल पूरे भारत में  के साथ देश में भी कम्प्यूटर और मोबाइल का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। लेकिन इसके फायदे की साथ साथ कुछ शारीरिक और मानसिक परेशानियां भी सामने आ रही हैं. सच बात तो यह है कि कुछ युवा इनका सुविधा के लिए कम मौज मस्ती टाइम पास के लिए अधिक उपयोग कर रहे हैं। यह आदत उन्हीं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही है.कार्यस्थल पर आंखों व शरीर की सुरक्षा का भी ध्यान रखना जरूरी है। देर तक, गलत ढंग से  में काम करने और लगातार मोबाइल और कंप्यूटर के की-बोर्ड पर अंगुलियां चलाने से युवाओं की आंखों पर तनाव पड़ने की समस्याएँ प्रतिदिन चिकित्सकों के पास आ रही हैं । इससे नर्व और हड्डी से जुड़ी समस्याएं भी लोगों में बढ़ने लगी हैं. कम्प्यूटर के देर तक इस्तेमाल करने की वजह से एक और समस्या जिसे ‘रिपीटिटिव स्ट्रेन इंजरी’ कहते हैं वो बढती ही जा रही है. गलत तरीके से बार-बार एक ही दिशा में देखने से  आँखों में तनाव पैदा होता है, साथ ही साथ अत्यधिक की-बोर्ड के इस्तेमाल से कलाई का दर्द भी लोगों में पाया जाने लगा है।

Dry eye syndromeचूँकि मोबाइल और कंप्यूटर हमारी आंखों के सीधे संपर्क में रहते हैं, इसलिए सबसे इससे ज्यादा नुकसान आंखों को ही होता है। कंप्यूटर और मोबाइल से अपनी आँखों की दूरी कम होती हैं, जिससे आंखों की मूवमेंट कम होती है। इस कारण लंबे समय तक आंखें एक ही पॉइंट पर फोकस्ड रहती है। मोबाइल और कंप्यूटर अधिक उपयोग करने वाले लोगों में मुख्य समस्या ड्राई आई सिंड्रोम(Dry Eye Syndrome) की होती है। इसमें या तो आंखों में नमी कम होने लगती है । आँखों से निकलने वाली नमी या आंसू , आंख के कार्निया एवं कन्जंक्टाइवा को सूखने से बचाते हैं। हमारी आंखों में नमी की लेयर होती है जो आंख की पलकों को चिकनाई देती है, जिससे पलक झपकने में आसानी रहती है। लेकिन ज्यादा देर तक मोबाइल और कंप्यूटर पर काम करने, बहुत ज्यादा टीवी देखने और लगातार A.C. में रहने से आंखों की layer पर असर बढने लगता है और कुछ दिनों बाद आंखें सूखने की feeling होने लगती है। इसे ड्राई आई सिंड्रोम (Dry Eye Syndrome) कहते हैं।

ड्राई आई सिंड्रोम (Dry Eye Syndrome)के लक्षण-Computer Vision Syndrome

1.आंखों में जलन, चुभन महसूस होना.

2.आँखें सूखी लगना, खुजली होना और उनमें भारीपन की feeling.

3.पास की चीजें देखने में समस्या होना

4.रंगों का साफ दिखाई न देना

5.एक चीज़ का दो दिखाई देना

इसके अलावा यदि इन लक्षणों के साथ किसी व्यक्ति में अत्यधिक थकान होना, गर्दन, कंधों एवं कमर में दर्द होना, ये सब भी पाए जाएँ तो इस अवस्था को कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम (Computer vision Syndrome) कहते हैं। ऐसे लोग जो ऑफिस में नियमित रूप से दो से तीन घंटे कम्प्यूटर पर काम करते हों, उनमें Computer vision Syndrome के लक्षण देखने को मिल जाते हैं। कुछ सावधानियां अपनाकर इस रोग से बचा जा सकता है।

ऐसे बचाव करें-

मेरे पास आने वाले रोगियों को मैं मुख्यतः बहुत ही आसान उपाय बताता हूँ जिससे कुछ ही दिनों में लाभ होने लगता है. इन उपायों में प्रमुख उपाय हैं-

1.हर एक घंटे बाद अपनी आंखों को लगभग १० मिनट तक बंद कर रखें, ताकि नमी की परत फिर से तैयार हो जाए।

2.मोबाइल और कम्प्यूटर पर काम करते वक्त आंखों की पलकों को लगातार झपकाते रहना चाहिए। हमारी आंखों में एक द्रव्‍य होता है, जो पलकों के झपकाने से बनता है; पलकों को झपकाने से आंख की पुतली के ऊपर की नमी फैलती हैं, जिससे आँखों में सूखापन नहीं होता, और नमी बनी रहती है।

3.कम्प्यूटर स्क्रीन पर एन्टीग्लेयर स्क्रीन लगा दें; यह एक ऎसे पदार्थ से बनी होती है जिससे कंप्यूटर की हानिकारक किरणें कम हो जाती है. बाज़ार में आसानी से यह उपलब्ध हैं.

4.कंप्यूटर की स्क्रीन और आंखों के बीच कम से कम 25 इंच की दूरी रखें

5.मोबाइल उपयोग करने वाले लोग आँखों इसकी आँखों से दूरी भी अधिक कर दें.

6.हरी सब्जियां पेय पदार्थ, दूध और फलों का जूस ज्यादा मात्रा में लें।

7.अगर AC में बैठते हैं तो इसकी हवा सीधे आंखों पर न पड़ने दें।

8.कंप्यूटर और मोबाइल पर काम करते समय हर २०-25 मिनट बाद लगभग पांच मिनट के लिए नजर स्क्रीन से हटा लें.

आँखों के लिए व्यायाम-

हमारे अनुभव में अनेक रोगियों को आँखों के व्यायाम से भी लाभ हुआ है और आप भी ये आसान व्यायाम करके अपनी आंखों को सुरक्षित रख सकते हैं.

1.अपनी हथेलियों को आपस में रगड़कर उन्हें कुछ देर के लिए आंखों पर रखें। फिर गालों से पलकों और आंखों की मांसपेशियो पर गोल-गोल और धीरे धीरे clockwise & anticlockwise दिशा में मसाज करें।

2.आँखों की पुतलियों को दाएँ-बाएँ और ऊपर-नीचे ‍नीचे घुमाते हुए फिर गोल-गोल घुमाएँ। इससे आँखों की माँसपेशियाँ मजबूत होती हैं.

3.अगर आपकी पीठ में भी दर्द रहता है तो दोनों बाजुओं को कोहनी से मोड़िए और दोनों हाथों की अँगुलियों को कंधे पर रखकर फिर दोनों कोहनियों को आपस में मिलाते हुए और साँस भरते हुए कोहनियों को सामने से ऊपर की ओर ले जाते हुए Clockwise घुमाते हुए नीचे की ओर साँस छोड़ते हुए ले जाइए. ऐसा ८-१० बार करें ‍फिर कोहनियों को anticlockwise दिशा में घुमाइए। गर्दन को दाएँ-बाएँ, फिर ऊपर-नीचे नीचे करने के बाद गोल-गोल clockwise & anticlockwise दिशा में घुमाइए। साँस को लेने और छोड़ने का ध्यान जरूर रखें।

ये व्यायाम देखने में तो बहुत ही आसान हैं लेकिन इनका हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण योगदान होता है ऐसा अनेक रोगियों से बात करने पर हमारा अनुभव है.

अगर आपकी जानकारी में भी कोई ऐसे लक्षण वाले लोग हैं और परेशान हैं तो उन्हें भी यह उपाय बताइये.

जनहित में यह जानकारी शेयर करें.

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ॥

धन्यवाद !!!!

आपका अपना,

डॉ.स्वास्तिक

चिकित्सा अधिकारी

(आयुष विभाग, उत्तराखंड शासन )

(ये सूचना सिर्फ आपके ज्ञान वर्धन हेतु है. किसी भी गम्भीर रोग से पीड़ित होने पर अपने चिकित्सक अथवा लेखक के परामर्श के बाद ही कोई दवा लें . पब्लिक हेल्थ और अन्य मुद्दों तथा सुझावों के लिए लेखक से drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )

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