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खेल खेल में स्वास्थ्य का आनंद लें

Ayurvigyan with Dr.Swastik
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मित्रों ढेर सारी नयी उम्मीदों के साथ यह साल शुरू हो ही गया है। तो आज सोचा कि आज कुछ उपयोगी बातों की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करूँ।

Psychological benefits of sports and healthज़रा अपना बचपन याद करिए। हम में से अधिकतर तब गाँव में रहा करते थे। बाद में माता पिता के कार्य की वजह से या तो कई लोग शहर में आ गए या फिर गाँव ने ही शहर का रूप ले लिया। बचपन में जहां तक मुझे याद है हम सभी को खेल की वजह से खूब डांट पड़ती थी। छोटी छोटी गलियों में बच्चे क्रिकेट खेलते थे। लुका छुपी  खेलने के लिए सब सुबह जल्दी उठ जाया करते थे। लड़कियां भी दौड़ लगाने में कम न थी। एक पैर पर गिरते पड़ते जाने कितनी दूर दौड़ जाया करती थीं। रस्सी कूदते हुए बच्चे अक्सर दिख जाया करते थे। उस समय तो तालाब में ही ओलम्पिक की तैराकी हुआ करती थी। गाँव में कुश्ती हुआ करती थी। विद्यालय में खो-खो बहुत प्रिय खेल हुआ करता था। घर के कार्यक्रमों में अक्सर नृत्य हुआ करते थे जिसमें महिलाएं खूब भाग लिया करती थीं।

खेलने के बाद घर आकर ढेर सारा तेल शरीर पर लगाया जाता था और खूब भूख लगती थी। तब सबका शरीर भी लम्बा सुडौल हुआ करता था। बीमारियाँ भी आज की अपेक्षा कम हुआ करती थीं।

अब ज़रा आज के आधुनिक युग पर नज़र डालिए –inactiveness

1. बच्चे बाहर जाने के बजाय घर के अंदर रहना ज्यादा पसंद करते हैं। उनका अधिकाँश समय मोबाइल और लैपटॉप के साथ बीतता है।

2. सुबह स्कूल जाने के लिए उन्हें फटाफट उठाया जाता है और छुट्टी के दिन तो वे उठते ही 10 बजे हैं।

3. सुबह के नाश्ते में बिस्कुट, ब्रेड, पिज़्ज़ा, बर्गर कुछ भी खाया और लग गए लैपटॉप में।

4. दिनभर इन्टरनेट पर सर्च करना और फेसबुक पर चैटिंग। शाम को जैसे तैसे खाना खाया और देर रात तक फिर वही लैपटॉप।

5. खेल तो अब सिर्फ टीवी के स्पोर्ट्स चैनल तक या फिर अंतर्राष्ट्रीय खेलों के दौरान क्रिकेट मैच देखने तक सीमित हो गया है। जिन्हें शौक है 6 पैक बनाने का वो अलग से जिम जाते हैं।

6. नृत्य तो सिर्फ अब रियलिटी शो में जाने के लिए सीखा जाता है।

न खेलने से नुक्सान –sports

1. शारीरिक श्रम न होने से बच्चों को अक्सर भूख नहीं लगती। भूख बढाने के लिए सिरप पिलाना पड़ता है।

2. सोफे पर बैठकर टीवी देखने से मोटापा बढ़ता है।

3. हमेशा बैठे रहने और लेटने से रीढ़ की हड्डियों की बीमारी बढ़ जाती है– स्लिप डिस्क अब तो बहुत लोगों को होता है। अक्सर आपने लोगों को गले में पट्टी और कमर में बेल्ट बांधे देखा होगा।

4. लोगों में आजकल हाइपरटेंशन की समस्या बढ़ गयी है। यह भी मोटापे का एक साइड इफ़ेक्ट है।

5. घर के अंदर बंद रहने के कारण बच्चे थोड़ी सी धूल मिटटी के संपर्क में आते ही बीमार पड़ जाते हैं।

6. बच्चों में भी अकेलेपन की भावना और चिडचिडापन बढ़ता जा रहा है।

7. लोगों में असहनशीलता बढती जा रही है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। घर से बाहर निकलकर दूसरों से मिलने से विचारों में भी अच्छाई आती है वरना तो इंसान एक सीमित दायरे में रहते हुए अपनी एक काल्पनिक दुनिया में रहने लगता है और वही उसे सही लगती है बाकी सब बातें उसे गलत लगती हैं।

8. बच्चे और बड़े दोनों में अब तनाव बढ़ता जा रहा है।

9. देर रात तक फेसबुक पर लगे रहने से नींद भी पूरी नहीं आती और सुबह देर से नींद खुलती है। फिर उठकर खुद को अजीब सी शर्मिंदगी होती है।

10. कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि जीवन में अव्यवस्था सी फ़ैल गयी है।

खेल से ऐसे जीवन व्यवस्थित करें-relation-sport-health

1. सबसे पहले तो अपनी दिनचर्या में खेल को एक ज़रूरी स्थान दें। शाम को कम से कम 2 घंटे बच्चों को और 1 घंटे बड़ों को कुछ खेलना ज़रूर चाहिए।

2. खेलने के बाद स्फूर्ति आती है और इन्सान खुश रहता है। चिडचिडापन नहीं होता।

3. खेलने के बाद कुछ समय तक श्वास गति तेज़ हो जाती है। इससे ऑक्सीजन अधिक मात्रा में फेफड़ों में जाती है और रक्त संचरण अच्छा होता है।

4. खेलने से भूख बढती है। फिर सिरप लेने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी।

5. खेलते रहने से मोटापा नहीं होगा। आपको बता दें कि हाइपरटेंशन की चिकित्सा में एक आवश्यक कदम व्यायाम का भी होता है। सभी डॉक्टर इससे ग्रस्त मरीजों को व्यायाम करने की सलाह देते हैं।

6. प्रकृति के साथ चलते रहना ज़रूरी है। खेलेंगे तो रात में नींद भी जल्दी आएगी। 12 या 1 बजे तक जागने की ज़रूरत ही क्या है।

7. लैपटॉप और मोबाईल हमारे लिए बने हैं। हम इनके लिए नहीं। इन यंत्रों को इतना समय न दें। सुबह उठकर 1 या 1.5 कि.मी. की दौड़ लगाने ज़रूर जाएँ।

8. बच्चों को तैराकी सिखाएं। इससे छाती और कंधे की मांस पेशियाँ मज़बूत होती हैं।

9. खेलते रहेंगे तो शरीर मज़बूत बनेगा। थोड़ी सी धूल मिटटी से बीमारियाँ नहीं होंगी।

10. सभी लोग अपनी व्यस्त जीवन शैली में से थोडा समय बैडमिंटन, टेबल टेनिस, नृत्य और क्रिकेट के लिए ज़रूर निकालिए।

11. यकीन मानिए खेलने से बहुत सारे टेंशन अपने आप ही दूर हो जायेंगे। फिर इतने एंटी डिप्रेसेंट्स, नींद की गोलियां और मल्टी विटामिन्स की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी।

12. मित्रों अपने स्वास्थ्य की डोर अपने हाथ में लीजिये। कोई भी अच्छा काम पुराना नहीं होता। यदि वह लाभदायक है तो उसे अपनाने में हर्ज़ ही क्या है?

13. अपनी दिनचर्या में खेल के लिए समय निकालिए और अपने स्वास्थ्य में फर्क देखिये। आपकी दूसरे कार्य करने की शक्ति भी अपने आप बढ़ जाएगी।

आप सभी का स्वास्थ्य अच्छा बना रहे, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ,

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ॥

डॉ.स्वास्तिक

चिकित्सा अधिकारी

(आयुष विभाग, उत्तराखंड शासन)

(लेखक सेdrswastikjain@hotmail.comपर संपर्क किया जा सकता है )

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